Wednesday, March 30, 2011

कानपुर विश्वविद्यालय की सत्र २०११ की परीक्षा की हकीक़त

दिनांक २५ मार्च से कानपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रारंभ हुयी जिसमे पहला पेपर कला स्नातक संकाय की तीनो वर्षो में समाजशास्त्र का था.परीक्षा शुरू होने से पहले कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो- सहगल ने परीक्षा में नक़ल रोकने के लिए अनेक नियम बनाये जिनका सीधा सम्बन्ध छात्र,अध्यापक और प्रिंसिपल तथा प्रबंधक से है. जिनका पालन परीक्षा के समय होना था यदि कॉलेज में सामूहिक नक़ल पकड़ी जाती है तो उपरोक्त सभी व्यक्ति अर्थ दंड के भागीदार होगे जिससे नक़ल विहीन परीक्षा संपन्न हो सके पर परीक्षा शुरू के पहले दिन से ही समझ में आने लगा की ये सरे नियम व्यर्थ के बने हुए है .असल में परीक्षा में परीक्षा का इन नियमो से कोई लेना देना नहीं था.कानपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा शुरू होते ही कानपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा की हकीकत खुल के सामने आने लगी.इस सत्र में संस्थागत और व्यतिगत दोनों प्रकार छात्रो की परीक्षाये साथ साथ हो रही है व्यक्तिगत छात्रो की परिक्षाए स्ववित्त पोषित महाविद्यालय में भी परीक्षा सेंटर बनाये गए है जबकिपिछले सत्र में संस्थागत और व्यक्तिगत छात्रो की परीक्षाये अलग अलग समय पर हुई थी .इस वर्ष कानपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा धांधली और भ्रष्टाचार अधिक देखने को मिल रहा है.पिछली साल जिन वित्तविहीन महाविद्यालय ने नक़ल विहीन परीक्षा करवाई थी इस साल इसे महाविद्यालय भी नक़ल की दौड़ में शामिल हो गए है .अब आप इसका कारण जानना चाहेगे तो इसका कारण यह की इस साल वित्तविहीन कॉलेज की छात्र संख्या में आई गिरावट है क्योंकि आज हर माँ बाप यह चाहते है कि उसका बच्चा अच्छे अंको से पास हो कोई भी छात्र या उसके माँ बाप ये नहीं चाहते कि उसका बच्चा फेल हो और इस सब बातो में स्ववित्त पोषित महाविद्यालय अहम् भूमिका निभाते है तथा बहुत से वित्तविहीन कॉलेज नक़ल विहीन परीक्षा कराते थे जिसका नुकसान इन कॉलेज को इस बार भुगतना पड़ा .नतीजा ये निकला कि वित्तविहीन कॉलेज कि काफी सीट खाली बनी रही और स्ववित्तपोषित कॉलेज कि लगभग सभी सीट समय से पहले ही फुल हो गयी है.कानपुर विश्वविद्यालय कि चल रही परीक्षायो में इस साल दोनों प्रकार के महाविद्यालय ने नक़ल विहीन परीक्षा ना कराने कि कसम खा रखी है .इस सत्र में कानपुर कि परीक्षायो में जम के नक़ल करायी जा रही है.किसी कॉलेज में बोल के नक़ल कराई जा रही है तो कही पर छात्र किताब रख कर नक़ल कर रहे है .हद तो यहाँ तक हो गयी गलत विषय के प्रश्न पत्र तक छात्रो में बांटे गए.भ्रष्टाचार का दूसरा उदाहरण देखिये कानपुर ने इस साल नक़ल रोकने के लिए जो सचल दल गठित किये है उन में से बहुत से लोग इसे है जिनका खुद का महाविद्यालय है या फिर इनके रिश्तेदार महाविद्यालय चला रहे है.शयद इसे लोगो ने ले दे के सचल दल में अपना नाम पडवा लिया है .अब ज़रा इस सचल दल कि हकीकत जाने कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा गादित सचल दल के अधिकांश व्यक्ति महाविद्यालय के प्रबंधको से मिले हुए है जो कॉलेज में आने से पहले ही फोन द्वारा अपने आने कि सूचना कॉलेज के प्रबंधक को पहले से ही दे देते है जिससे सचल दल के आने से पहले ही कॉलेज से नक़ल को साफ़ कर दिया जाता है.कानपुर विश्वविद्यालय से संबध स्ववित्त पोषित महाविद्यालय कि हालत तो और भी खराब हाइ पहली बात तो यह ही कि इn कॉलेज के मानक केवल कागजो में ही सीमित होते ही.कॉलेज कि वास्तविक हकीकत कुछ और ही होती ही.कॉलेज कि वास्तविक तस्वीर यह होती हैं कि साल भर इन स्ववित्त पोषित कॉलेज में ना तो टीचर होते हैऔर ना ही छात्र होते ही ये दोनों ही केवल परीक्षा के समय ही देखे जाते ही.हां इसमें भी एक ghotala है vo यह है कि विश्वविद्यालय के मानक के apurup टीचर केवल कॉलेज के kagaj में hota है baki के परीक्षा karane के लिए टीचर maf karna inko टीचर तो नहीं kahege agar inko dainik majdoor kahe तो shyaad uchit rahega, को bahar से bulwaya jataa है जो कॉलेज में परीक्षा कराते है.कॉलेज के प्रबंधक के aadesh पर parikshaa में नक़ल कराने में sahi bhoomika ये लोग ही निभाते है.ये dainik majdoor ही कॉलेज के प्रबंधको के aadesh पर नक़ल कराते है.बहुत से स्ववित्तपोषित महाविद्यालय इस प्रकार से नक़ल कराते है कि परीक्षा के aant में ३० minat पहले से नक़ल karaanaa शुरू करते है और परीक्षा khatm होने के १५ minat baad तक नक़ल कराते rhate है yaani परीक्षा १० baje khatm honi है तो नक़ल ९.३० baje से shooru होती है और १०.१५ minut तक chalti rahti है.१०.१५ पर nakalchiyo से copy li जाती है.ये sach है कानपुर विश्वविद्यालय कि आज कि परीक्षा का.

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